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महाजनपद

महाजनपदों का उदय

लगभग छठी शताब्दी ईसा पूर्व मे गंगा और यमुना एवं बिहार में लोहे के अत्यधिक प्रयोग के कारण अधिक उत्पादन होने लगा था। उत्तर वैदिक काल के जनपद अब महाजनपदों में बदल गए। बौद्ध ग्रंथ अंगुत्तर निकाय और जैन ग्रंथ भगवती सूत्र में 16 महाजनपदों की जानकारी मिलती है।

अंगुत्तर निकाय में भारत के 16 महाजनपद में से 15 उत्तर भारत में तथा एक दक्षिण भारत में है। महर्षि पाणिनि ने 40 जनपदों का उल्लेख किया है। यह उत्तर भारत, अफगानिस्तान तथा मध्य एशिया में स्थित थे। एक और बौद्ध ग्रंथ महावास्तु में 16 महाजनपदों की एक ऐसी ही जानकारी मिलती है लेकिन इसमें गंधार और कंबोज का नाम नहीं मिलता है। इसके स्थान पर पंजाब में सिबा तथा मध्य भारत में दर्शन के नाम जुड़े हुए हैं।

आगे हम सभी सोलह महजनपदों का एक एक कर अध्ययन करेंगे

1. अंग– अंग महाजनपद उत्तरी बिहार के वर्तमान भागलपुर तथा मुंगेर के जिले संघ महाजनपद के अंतर्गत आते थे इसकी राजधानी चंपा थी। इस नगर का वास्तुकार गोविंद था। प्राचीन समय में यह अपने व्यापार और वाणिज्य के लिए प्रसिद्ध था। अंग जनपद का शासक ब्रह्मदत्त था। बुद्ध के समय तक चंपा की गिनती भारत के 6 महानगरों में की जाती थी।

चंपा के अलावा और पांच महानगरों के नाम- राजगृह, श्रावस्ती, साकेत, कौशांबी तथा बनारसब्रह्मदत्त ने मगध के राजा भटटीय को हराकर मगध के कुछ क्षेत्र पर अपना अधिकार कर लिया लेकिन बाद में बिंबिसार ने अंग को मगध साम्राज्य में मिल लिया।

2. मगध– वर्तमान में इस महाजनपद के अंतर्गत पटना गया तथा शाहाबाद का कुछ हिस्सा पड़ता है। पाली ग इसकी राजधानी गिरिव्रज थी लेकिन बाद में बदलकर राजधानी पाटलिपुत्र हो गया। यह सबसे शक्तिशाली महाजनपद था।

3. काशी– प्रतिष्ठित काशी महाजनपद की राजधानी वाराणसी थी। सोननंद जातक से पता चलता है कि मगध क्वेश्चन तथा अंग पर काशी का अधिकार था। काशी का सबसे शक्तिशाली राजा ब्रह्मदत्त था जिसने कोसल को जीता था। लेकिन कोसल के राजा कंस ने काशी को जीत कर अपने राज्य में मिल लिया।

4. वज्जी– गंगा के उत्तर में आज के तिरहुत प्रमंडल में वियो का राज्य था। यह आठ कुलों का संघ था इसमें कुल – विदेह, वाज्जी और लिच्छवी प्रमुख थे। लिछवीयो की राजधानी वैशाली में थी जिसकी पहचान आधुनिक बसाढ नाम के स्थान से की जाती है। इस समय यह उत्तरी बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में स्थित है बुद्ध के समय में यह शक्तिशाली संघ था। वज्जी संघ के अन्य सदस्य थे,-उग्र, भोग, कौरव, तथा इक्ष्वाकु।

5. कोसल– इसकी राजधानी श्रावस्ती थी, जिसकी पहचान उत्तर प्रदेश के आधुनिक श्रावस्ती जिले के सहते – महेत नामक गांव से की जाती है। कोसल राज्य उत्तर में नेपाल से लेकर दक्षिण में सई नदी तथा पश्चिम में पांचाल से लेकर पूर्व में गंडक नदी तक फैला हुआ था। सरयू नदी इस जनपद को दो भागों में बाटती थी उत्तरी कोसल की राजधानी श्रावस्ती और दक्षिण कोसल की राजधानी कुशावती थी इस क्षेत्र का प्रमुख राजा प्रसेनजीत था। जो बुद्ध का समकालीन था।

कोसल में शाक्यों का कपिलवस्तु गणराज्य भी शामिल था। इसकी पहचान आधुनिक सिद्धार्थनगर जिले के पीपरहवा नामक स्थान से की गई है शाक्यों की दूसरी राजधानी नेपाल में लुंबिनी नामक स्थान पर थी। महात्मा बुद्ध के पहले ही कंस नामक राजा ने काशी राज्य को जीता था। कंस का लड़का महाकौशल उसका उत्तराधिकारी हुआ। काशी पर इसका पूरा अधिकार हो गया। यह व्यापार और वस्त्र उद्योग का एक महत्वपूर्ण केंद्र था।

महाकौशल के बाद उसका पुत्र प्रसेनजीत शासक बना प्रसेनजीत का पुत्र तथा उसका उत्तराधिकारी विडढूब हुआ। जो एक दाशी का पुत्र था इसने शाक्यों पर आक्रमण करके उसे नष्ट कर दिया लेकिन जब वह वापस लौट रहा था तो राप्ती नदी की बाढ़ में अपनी पूरी सेना के साथ नष्ट हो गया।

6. मल्ल – माल महाजनपद पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में स्थित था। इसके दो भाग थे एक की राजधानी कुशीनगर एवं दूसरे की राजधानी पावा थी। कुशीनगर में ही महात्मा बुद्ध को महापरिनिर्वाण प्राप्त हुआ जबकि पावा में महावीर को। ‘कुस जातक’ में ओकाकक को वहां का राजा बताया गया है।

7. वत्स – वत्स महाजनपद आधुनिक इलाहाबाद का क्षेत्र था, इसकी राजधानी कौशांबी थी। विष्णु पुराण से पता चलता है कि हस्तिनापुर के राजा निचक्षु ने हस्तिनापुर के गंगा के बहाव में वह जाने के बाद कौशांबी को अपनी राजधानी बनाया। बुद्ध के काल में यहां पौरव वंश का शासन था, यहां का शासक उदयन था।

अवंती के राजा प्रघोत के साथ उसकी शत्रुता थी उदयन का प्रघोत की कन्या वासवदात्ता से प्रेम हो गया था। जिसका अपहरण कर उसे अपनी राजधानी कौशांबी लाया, बाद में प्रघोत ने इस विवाह को अनुमति देकर मित्रता का संबंध स्थापित कर लिया। भास के अनुसार उदयन का विवाह मगध के राजा दर्शन की बहन (आजातशत्रु की पुत्री) पद्मावती के साथ भी हुआ था। उदयन को प्रसिद्ध बौद्ध भिक्षु पिंडोला ने बौद्ध धर्म में दीक्षित किया था। कौशांबी प्रसिद्ध व्यापारिक नगर भी था। कौशांबी में हाल ही में हुए उत्खनन में उदयन का विशाल राज प्रसाद मिला है।

8. कुरु – कुरु महाजनपद मेरठ दिल्ली तथा थानेश्वर के भूभागों में स्थित था। इसकी राजधानी इंद्रप्रस्थ थी महाभारत काल में हस्तिनापुर का नगर भी इसी राज्य में स्थित था। बुद्ध के काल में यहां का राजा कोरव्य था। पहले कुरु एक राजतंत्र आत्मक राज्य था लेकिन बाद में यहां गणतंत्र की स्थापना हुई।

9. पांचाल – आधुनिक रूहेलखंड के बरेली तथा फर्रुखाबाद के जिलों से पांचाल महाजनपद बनता था। इसके दो भाग थे, उत्तरी पांचाल और दक्षिणी पांचाल। उत्तरी पांचाल की राजधानी अहिछत्र (रामनगर) और दक्षिणी पांचाल की राजधानी कांपिल्य(फर्रुखाबाद) थी। कान्यकुब्ज का प्रसिद्ध नगर इसी राज्य में स्थित था। द्रौपदी भी पांचाल की ही थी। मूल रूप से यह एक राजतंत्र था लेकिन कौटिल्य के समय तक यह गणराज्य हो गया था।

10. अवंति – पश्चिम भारत में अवंती जनपद प्रमुख था। आधुनिक मालवा व मध्य प्रदेश के कुछ भागों से मिलकर यह जनपद बना था। अवंती के दो भाग थे, उत्तरी अवंति जिसकी राजधानी उज्जैन थी, और दक्षिणी अवंती जिसकी राजधानी माहिष्मती थी। बुद्ध कालीन अवंती का राजा चण्डप्रघोत था। जिसकी पिलिया बीमारी का बिंबिसार के राजवैध जीवक ने उसका इलाज किया था। बौद्ध पुरोहित महाकचयन के प्रभाव से वह बौद्ध बन गया अवंती भी बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र था।

मगध सम्राट शिशुनाग ने अवंती को जीतकर अपने राज्य में मिल लिया। यहां लोहे की खान थी तथा लोहार इस्पात के उच्च स्तर के अस्त्र-शस्त्र निर्मित करते थे। इसी कारण यह राज्य संपूर्ण दृष्टि से बहुत प्रबल था। पुराणों मे वरन के अनुसार अवंती की आधारशिला रखने का यश यदुओं के हैहय वंश को दिया गया है।

11. शूरसेन – आधुनिक ब्रजमंडल क्षेत्र में यह महाजनपद था। इसकी राजधानी मथुरा थी प्राचीन यूनानी लेखक इस राज्य को शर्सनोई तथा इसकी राजधानी को मेथोरा कहते थे। कृष्ण यही के राजा थे बुद्ध के समय यहां का राजा ‘अवंती पुत्र’ था। यादव वंश के कई छोटे-छोटे वंश जैसे- अंधक, वृष्णी, महाभोज आदि में बात हुआ था महाभारत के नायक कृष्णा शासन परिवारों से संबंधित थे।

12. चेंदी/चेती – वर्तमान में बुंदेलखंड का क्षेत्र ही प्राचीन काल में चेंदी महाजनपद था। यह यमुना नदी के किनारे स्थित था इसकी राजधानी सोत्त्थिवती थी। जिसकी पहचान महाभारत में शक्तिमति से की जाती है। महाभारत के समय यहां का राजा शिशुपाल था। जो कृष्ण के हाथों से मारा गया। ‘चेतिय जातक’में यहां के एक राजा का नाम ‘उपचार’ मिलता है।

13. मत्स्य – यह महाजनपद वर्तमान में जयपुर के आसपास था। विराट नामक संस्थापक के नाम पर इसकी राजधानी विराटनगर हुई। इसके अंतर्गत आधुनिक समय में अलवर व भरतपुर का एक भाग भी शामिल था। विराट नगर पांडवों के छिपने के स्थान के रूप में प्रसिद्ध है यह क्षेत्र पशुपालन के लिए अच्छा था इसीलिए महाभारत में जब कौरवों ने विराटनगर पर हमला किया तो वह पशुओं को हांक ले गए। मगध साम्राज्य ने इसे अपने साम्राज्य में मिल लिया।

14. अश्मक – यह दक्षिण भारत का एक अकेला महाजनपद था। इसकी राजधानी पोतन थी। यह गोदावरी नदी के तट पर स्थित था। पुराने से पता चलता है कि स्मक के राजतंत्र की स्थापना इक्ष्वाकु वंशी शासकों ने की थी।

15. गांधार – यह वर्तमान पेशावर तथा रावलपिंडी के क्षेत्र में था। इसकी राजधानी तक्षशिला थी। प्राचीन काल में तक्षशिला विद्या का बहुत ही प्रसिद्ध केंद्र था। रामायण से पता चलता है कि इस नगर की स्थापना भारत के पुत्र तक्ष ने की थी। इस जनपद का दूसरा प्रमुख नगर पुषकलावती था। छठवीं शताब्दी में गंधार में ‘पुष्कर सरीन’ शासन करता था इसने अवंती के शासक चंदप्रघोतको हराया था।

16. कंबोज – यह उत्तर में स्थित था आधुनिक काल में राजौरी और हजारा जिले में प्राचीन कंबोज स्थित था। इसकी राजधानी राजपुर अथवा हाटक थी। कौटिल्य ने कंबोज को ‘वार्ताशस्त्रोंपजीवी संघ’अर्थात कृषि पशुपालन वाणिज्य तथा शस्त्र द्वारा जीविका चलाने वाला कहा है। प्राचीन समय में कंबोज जनपद अपने श्रेष्ठ घोड़े के लिए प्रसिद्ध था।

उपर्युक्त सोलह महाजनपदों में मगध, वत्स, कौशल, अवंती तबके अत्यंत शक्तिशाली थे। इनमें भी मगध और अवंती ज्यादा महत्वपूर्ण हुए। अंत में मगध ने अवंती पर भी अपना अधिकार जमा लिया। इसका प्रमुख कारण वहां लोहे की अधिकता उसकी भौगोलिक स्थिति और योग्य शासक थे। इस तरह मगध में हर्यक वंश का उदय हुआ जिसका संस्थापक बिंबिसार था”

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